Tuesday, January 26, 2010

सोचना, बात करना, लिखना और कर दिखाना

सोचना, बात करना, लिखना और कर दिखाना : प्रथम एवं अंतिम पायदान
कोई कुछ भी बोले अपुन तो साफ और सीधी बात करने वाले हैं क्योकि बात करने का मतलब बात में कितना दम हैं वैसे तो आज हर कोई अपनी बात बोल रहा हैं पर मेरे हिसाब से तो उन लोगो को बोलना चाहिए जिनका अपने इस गाँव के विकाश में सहयोग रहा हैं और आगे भी कुछ करने की आज हेसिअत रखते हैं अतीत और भविष्य की संभावनाओ की नहीं बल्कि आज की बात कर रहा हूँ | वैसे अतीत हमें नया इतिहास बनाने की प्रेरणा देता पर जिनका इतिहास ही नहीं उनसे हम क्या उमीद कर सकते ?
आज हर कोई एरा गेरा अपनी तुती बजा रहा हैं इसका क्या मतलब हैं जिनका इस गाँव के विकास में रति भर भी योगदान नहीं रहा वे भी आज सलाह देने पर तुले हुए हैं जो खुद अपनी जिंदगी को भी सवारने में सफल नहीं रहे वे लोग भी गाँव की पंचायती करते घूम रहे हैं| सलाह देना या बात करना एकदम आसान हैं पर कर पाना बहुत ही कठिन हैं और जो लोग कुछ कर चुके हैं वे अनुभवी लोग हैं और जो लोग सिर्फ बात करते हैं वे जिंदगी भर सिर्फ बात करने में ही अपना और इस देश का वक्त जाया कर रहे हैं और ऐसे लोगो से तो दूर ही रहना चाहिए वर्ना खुद तो बातो में उल्जे रहेंगे ही दूसरो को भी उल्जाए रखेंगे ताकि वे भी खुद की तरह असफल लोगो की गिनती में आ जाये क्योंकि हर आदमी को दूसरो को भी अपने जैसा ही होना पसंद आता हैं |
अब आपकी अपनी मर्जी आप किन लोगो की बात सुनना पसंद करेंगे और किन लोगो के साथ काम करना पसंद करेंगे वैसे सलाहकरो की भी इस देश में कमी नहीं हैं आखिर देश के प्रधानमंत्री मनमोहनसिंहजी सारे कांग्रेसी कार्यकर्ताओ को अपनी सलाहकार समिति में क्यों नहीं भर्ती कर लेते ?
वैसे आप मेरे बारे में भी सोच सकते हैं की मै यह सलाह आप को क्यों दे रहा हूँ तो आपको बता दू की आज सेकड़ो लोग आज मेरी सलाह पर काम कर रहे हैं और सफलता की सीढ़ी के शिखर को चुने की तैयारी कर रहे हैं |

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