मुंबई, 25 दिसंबर। मंगलवार की रात मुंबई से झारखंड के जैन मंदिर में दर्शन करने पहुंचे 75 जैन तीर्थयात्रियों को डकैतों के गिरोह ने लूट लिया।
लुटे सभी यात्री मुंबई से गए 850 यात्रियों के समूह का हिस्सा थे, जिमें महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल थे। एक विशेष ट्रेन से पारसनाथ पहुंचा यह समूह घटना की रात पारसनाथ से 50 किमी. दूर स्थित मधुबन के एक जैन मंदिर के दर्शनार्थ लगभग 50 वाहनों में सवार होकर निकला था। डुमरी मोर नामक स्थान के करीब डकैतों द्वारा बनाए गए अवरोधक से गाडियां टकरा कर रूक गई। गाडियों के रूकते ही लाठियों व लोहे की छड़ों से लैस बैठे लुटेरों ने हमला बोल दिया और चालकों को गाड़ी से बाहर खींच तोड़फोड़ करने लगे।
लुटेरों के शिकार बने एक यात्री रजनीभाई शाह ने बताया कि उनके 5 लाख रूपए व उनकी पत्नी के गहने लुटेरों ने लूट लिए। गाड़ी में पीछे वाली सीट पर बैठे यात्रियों को भी डकैतों ने लूटा और सबके साथ मारपीट भी की।
कई यात्रियों के अनुसार मोबाइल तो छीना ही लुटेरों ने चश्मे भी नहीं छोड़े। एक चालक ने बचने के लिए गाड़ी भगाई तो घबराहट में गड्डे में जा घुसा और लूटा गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार करीबदो घंटे तक 17 गाडियों को लूटा गया। गिरिडीट के एसपी ने बताया कि पुलिस टीम घटनास्थल के आसपास के क्षेत्र में तलाश कर रही है। मामला दर्ज कर लिया गया है। डुमरीमोरमधुबन रोड पर हमेशा से ही डकैतियों व नक्सली हमलों का आतंक रहा है।
इन सबके चलते ही सरकार ने मधुबन में 22 दिसंबर से होने जा रहे दो दिवसीय श्री शिखरजी महोत्सव को रद्द कर दिया है। इधर मुंबई में आए दिन झारखंड में हो रही इन घटनाओं से आहत जैन समाज मार्मिक रूप से दुखी है। मारवाड़ जैन संघ मुंबई के प्रमुख भरत सोलंकी ने घटना की कड़े शबदों में निंदा करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर मांग की है कि जनता के विस्रास को कायम रखने हेतु शिखरजी मार्ग पर सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध किया जाए जिससे जैन समाज में सरकार के प्रति विश्वास कायम रहे।
Tuesday, December 30, 2008
Jain Pilgrims looted in Jharkhand
सफलता पूर्वक संपन्न हुआ बागोल जैन संघ का सम्मेलन
मुंबई, 12 नवंबर। श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ स्नेह सम्मेलन गत दिनों शहापुर तीर्थ पर हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। बोराणा परिवार द्वारा प्रायोजित सम्मेलन में छ सौ से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन की अपार सफलता को देखते हुए आगामी दो वर्षों के संघ सम्मेलनों की घोषणा भी इसी सम्मेलन में कर दी गई।
आचार्य हेमरत्नसूरी महाराज के सान्निध्य में सूर्योदय पूर्व पांच बजे प्रभात भावगीत एवं सिद्धाचल तीर्थ भाव यात्रा के साथ शुरू हुए सम्मेलन में दोपहर दो बजे प्रतिभाशाली छात्रों एवं तपस्वियों को सम्मानित किया गया। शा दानमल बोराणा समेत वरिष्ठ नागरिक चांदमल कोठारी, जीवराज सोलंकी, समाजसेवी अमरचंद कोठारी, सुकनराज बरलोटा, मांगीलाल गुंगलिया, भबूतमल मेहता ने कार्यक्रम क़ी शोभा बढ़ाई । कार्यक्रम को सफल बनाने में भरत सोलंकी, अनराज गुंगालीया, अशोक कोठारी, मूलचंद सोलंकी केवलचंद कोठारी समेत आयोजन समिति ने सराहनीय भूमिका निभाई कार्यक्रम के अंत में प्रायोजक परिवार की ओर से राजेन्द्र बोराणा ने आयोजित समिति ने सराहनीय भुमिका निभाई। कार्यक्रम के अंत में प्रायोजक परिवार की ओर से राजेन्द्र बोराणा ने आयोजन समिति के सभी सदस्यों का सम्मान किया।
सम्मेलन में महिलाओं और बच्चों के लिए विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ और विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया।
सम्मेलन की सफलता का ही परिणाम था कि सम्मेलन में ही अगले दो साल के सम्मेलनों के आयोजन की घोषणा कर दी गई । सन् 2009 के लिए नेमीचंद चांदमल कोठारी और 2010 के लिए बाबूलाल भीकमचंद मेहता सम्मेलन के प्रायोजक होंगे। कार्यक्रम का संचालन युवा समाजसेवी भरत सोलंकी ने किया।
आचार्य हेमरत्नसूरी महाराज के सान्निध्य में सूर्योदय पूर्व पांच बजे प्रभात भावगीत एवं सिद्धाचल तीर्थ भाव यात्रा के साथ शुरू हुए सम्मेलन में दोपहर दो बजे प्रतिभाशाली छात्रों एवं तपस्वियों को सम्मानित किया गया। शा दानमल बोराणा समेत वरिष्ठ नागरिक चांदमल कोठारी, जीवराज सोलंकी, समाजसेवी अमरचंद कोठारी, सुकनराज बरलोटा, मांगीलाल गुंगलिया, भबूतमल मेहता ने कार्यक्रम क़ी शोभा बढ़ाई । कार्यक्रम को सफल बनाने में भरत सोलंकी, अनराज गुंगालीया, अशोक कोठारी, मूलचंद सोलंकी केवलचंद कोठारी समेत आयोजन समिति ने सराहनीय भूमिका निभाई कार्यक्रम के अंत में प्रायोजक परिवार की ओर से राजेन्द्र बोराणा ने आयोजित समिति ने सराहनीय भुमिका निभाई। कार्यक्रम के अंत में प्रायोजक परिवार की ओर से राजेन्द्र बोराणा ने आयोजन समिति के सभी सदस्यों का सम्मान किया।
सम्मेलन में महिलाओं और बच्चों के लिए विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ और विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया।
सम्मेलन की सफलता का ही परिणाम था कि सम्मेलन में ही अगले दो साल के सम्मेलनों के आयोजन की घोषणा कर दी गई । सन् 2009 के लिए नेमीचंद चांदमल कोठारी और 2010 के लिए बाबूलाल भीकमचंद मेहता सम्मेलन के प्रायोजक होंगे। कार्यक्रम का संचालन युवा समाजसेवी भरत सोलंकी ने किया।
Wednesday, December 24, 2008
"The Historical Rail Station Build in 1910 at Bagol "The History & Individual Social Development of Rajshthani Marwari People of Bagol from Past to Present is Published in SUDARSHANAM by Bharat Solanki
Around 1910, Bagol initially was the only Railway station on proposed Udaipur–Phulad Railway line. Unfortunately due to some Government planning the work of extending the railway line via Bagol was stopped. The interesting fact is that the railway building still exists in Bagol which is now under Forest Department.
Bharat Solanki
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